Anonymous, Alone and Absolutely Hopeless
Thursday, December 3, 2009
Zaruri to Nahin
उम्र भर साथ दे कोई किसी का
ये कोई ज़रूरी तो नहीं,
सफ़र अगर लम्बा हो तो
मिले हर मोड़ पे हमसफ़र,
ये कोई ज़रूरी तो नहीं,
हम तेरा नाम पुकारते रहे हर गली हर मोड़ पर
ये हमारी खुदगर्जी थी,
तेरी दुनिया में एक बस मैं रहूँ,
ये कोई ज़रूरी तो नहीं.
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