चन्द धागे बस जुड़ जाएँ
चन्द वादों को तोड़ने का दिल हो जाये
इक आवाज़ और इक बार बस सुन लूं
चन्द पन्ने इस किताब के ख़त्म हो जाएँ
फिर तो रुखसत है ही लेनी
ये चन्द लम्हें बस गुज़र जायें
उम्र भर तो तुने ग़म दी ए ज़िन्दगी
ये आखरी पल तो बस अब सुकून से गुज़र जायें......
Subscribe to:
Posts (Atom)