Saturday, February 27, 2010

चन्द लम्हें और ऐ दुनिया
बस फिर तुझसे कहीं दूर मैं चला
कहाँ का वो सफ़र होगा उससे भले अनजान हूँ मैं
तेरी इस दोज़ख को छोड़ मैं चला.

1 comment:

  1. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
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