Wednesday, January 13, 2010

Ghar Aana Tera

दरो दीवार से आ रही है खुश्बू तेरी
बिस्तर तकिये में बस गयी है महक तेरी
प्यारा सा लगता है मुझको अब ये मकान मेरा
बना गया इस मकान को घर इक बार आना तेरा.

तकिये पे तेरी जुल्फों के टुकड़े
गुसलखाने में तेरी छुटी हुई एक कान की बाली
जिसे छुआ था तुने अपने होठों से
बड़ी सहेज के रखी है वो चाय की अनधुई प्याली.

अब तो हर दस्तक पे चेहरा खिल जाता है
तेरे आने की आरज़ू हकीकत में बदलता नज़र आता है
कोई भी हो दरवाज़े पे,
हर इक चेहरे में तेरा ही चेहरा नज़र आता है.

तेरे जाने की घडी से ही शुरू हो गयीं इंतज़ार की घड़ियाँ
तेरे बिना हर इक पल इक उम्र सा लगता है
वैसे तो यहाँ छाये रहते हैं वीराने के मंज़र
तेरे आने से मुझे मेरा घर घर सा नज़र आता है.

Wednesday, January 6, 2010

Tujhse Pehle Tere Baad

तुझसे मिलने से पहले भी तो ज़िन्दगी तन्हा थी मेरी
फिर क्यूँ तुझसे बिछड़ के ये तन्हाई और गहरी लगती है?
चन्द दिनों का ही तो साथ था हमारा
फिर क्यूँ तेरे साथ बिताई घड़ियाँ इक उम्र सी लगतीं हैं?

Nafrat Na kar, Bhool Ja Mujhko

राहें कुछ ऐसी उलझीं
के वो अजनबी अपनों से अपना लगने लगा
ना मिली हो मोहब्बत जिसको उम्र भर
आज एक अनदेखे का साथ मोहब्बत सा लगने लगा.

अपनेपन से, प्यार से,
लेकिन अब खौफ सा लगता है
उस अजनबी को खोने का अहसास भी
हर पल उसके करीब लाता है.

इन नजदीकियों से दूर जाना ही मजबूरी है मेरी
शायद तन्हाई में जीना ही तकदीर है मेरी
जाना ही तो था तुझे एक ना एक दिन
एक दिन पहले ही मैं कर गया इस मुश्किल को कम तेरी.

ये माना के ये खता मेरी है
पर नफरत ना करना मुझसे ऐ दिलनशीं
भुला ही देना मुझे अपनी ज़िन्दगी से
मुझे नफरत में भी याद करने की सज़ा खुद को ना देना ऐ हसीं.

तुझको नहीं दे सकता मैं सज़ा
ना दे सकता हूँ इलज़ाम मुझे छोड़ जाने का
ये खता मैं लेता हूँ अपने ही सर पे
मेरे ही दामन पे लगे दाग बेवफाई का, तुझे छोड़ जाने का.

भुला के मुझे जी ले तू अपनी ज़िन्दगी
खुशियों से भर ले दूर करले मुझसे अपनी ज़िन्दगी
बस नफरत ना करना तू मुझसे
बस प्यार ही प्यार से भरी हो तेरी ज़िन्दगी.

तेरे ही लिए दुआ करता है आज भी ये दीवाना
तेरे ही ख्यालों में जीता है आज भी ये दीवाना
तेरे दिल से दूर है भले ही
तेरी ही आग में जलाता रहेगा अपना दिल ये दीवाना.