Wednesday, January 13, 2010

Ghar Aana Tera

दरो दीवार से आ रही है खुश्बू तेरी
बिस्तर तकिये में बस गयी है महक तेरी
प्यारा सा लगता है मुझको अब ये मकान मेरा
बना गया इस मकान को घर इक बार आना तेरा.

तकिये पे तेरी जुल्फों के टुकड़े
गुसलखाने में तेरी छुटी हुई एक कान की बाली
जिसे छुआ था तुने अपने होठों से
बड़ी सहेज के रखी है वो चाय की अनधुई प्याली.

अब तो हर दस्तक पे चेहरा खिल जाता है
तेरे आने की आरज़ू हकीकत में बदलता नज़र आता है
कोई भी हो दरवाज़े पे,
हर इक चेहरे में तेरा ही चेहरा नज़र आता है.

तेरे जाने की घडी से ही शुरू हो गयीं इंतज़ार की घड़ियाँ
तेरे बिना हर इक पल इक उम्र सा लगता है
वैसे तो यहाँ छाये रहते हैं वीराने के मंज़र
तेरे आने से मुझे मेरा घर घर सा नज़र आता है.

5 comments:

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  2. Thank you.....its written for the most beautiful girl in this world....so i wanted it to be special.... the credit is all hers

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  4. i wish that most beautiful girl would read this

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  5. urs words touches heart

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