तुझसे मिलने से पहले भी तो ज़िन्दगी तन्हा थी मेरी
फिर क्यूँ तुझसे बिछड़ के ये तन्हाई और गहरी लगती है?
चन्द दिनों का ही तो साथ था हमारा
फिर क्यूँ तेरे साथ बिताई घड़ियाँ इक उम्र सी लगतीं हैं?
Wednesday, January 6, 2010
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