आ करले दोस्ती मुझसे
लगा ले मुझको गले
मौत, ज़िन्दगी में आजा मेरी
चल ज़िन्दगी से कहीं दूर चलें.
ले ले ज़िन्दगी मेरी
वो होगी मेरे दोस्ती कि सौगात
खुशियों कि उम्मीद तुझसे भी नहीं करता मैं
बस कर दे मुझे तू मेरे ग़मों से आबाद.,
कर यकीन मेरा
तेरे साथ गर मैं जाऊँगा
ना कोई भी मेरे लिए रोने वाला होगा
ना ही किसी के छूटने का मैं मातम मनाऊंगा.
देखूं ज़रा मैं भी कि कैसी दुनिया है तेरी
प्यार, दोस्ती, इश्क मोहब्बत के नाम पर
क्या तेरी दुनिया में भी
ठगते हैं लोग इन्हीं जज्बातों के नाम पर?
अब बस आ भी जा
बहुत सता लिया है तुने
वर्ना मैं खुद कदम बढ़ा लूँगा तेरी ओर
जो की देर इक पल भी और तुने.
Saturday, December 5, 2009
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