दर्द छिपाए सीने में
हम तन्हा जिया करते थे
खुद के ग़म को दुनिया से अलग मानके
हम आंसूं बहाया करते थे.
जबसे तेरे दिल को जाना है हमने
ये जाना कि तेरा भी ग़म कुछ मेरे ही जैसा है
दुनिया से अलग सिर्फ मैं ही नहीं
कोई और भी मेरे जैसा है.
अजीब सा तेरा मेरा ये रिश्ता है
जोड़ता है हमको ग़म एक दुसरे का
ग़म का ये रिश्ता कैसे इतनी ख़ुशी दे जाता है
जीने की हमारी वजह है ग़म एक दुसरे का.
ना नाम है कोई, ना कोई पहचान है
इस रिश्ते में ना कोई उम्मीद बस जज्बातों का उफान है
फिर भी ये ग़म का रिश्ता ज़िन्दगी की सबसे ख़ूबसूरत अमानत है
ग़म का ही सही, ये रिश्ता ही ही अब तेरा मेरा ना पूरा हो सकने वाला अरमान है.
Monday, December 14, 2009
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